Main Jogi Jas Gaya Bala

शिव द्वारा कृष्ण दर्शन मैं जोगी जस गाया बाला, मैं जोगी जस गाया तेरे सुत के दरसन कारन, मैं काशी तज आया पारब्रह्म पूरन पुरुषोत्तम, सकल लोक जाकी माया अलख निरंजन देखन कारन, सकल लोक फिर आया जो भावे सो पावो बाबा, करो आपुनी दाया देउ असीस मेरे बालक को, अविचल बाढ़े काया ना लेहौं […]

Mohi Kahat Jubati Sab Chor

चित चोर मोहिं कहति जुवति सब चोर खेलत कहूँ रहौं मैं बाहिर, चितै रहतिं सब मेरी ओर बोलि लेहिं भीतर घर अपने, मुख चूमति भर लेति अँकोर माखन हेरि देति अपने कर, कई विधि सौं करति निहोर जहाँ मोहिं देखति तँहै टेरति, मैं नहिं जात दुहाई तोर ‘सूर’ स्याम हँसि कंठ लगायौ, वे तरुनी कहँ […]

Sakhi Ri Sundarta Ko Rang

दिव्य सौन्दर्य सखी री सुन्दरता को रंग छिन-छिन माँहि परत छबि औरे, कमल नयन के अंग स्याम सुभग के ऊपर वारौं, आली, कोटि अनंग ‘सूरदास’ कछु कहत न आवै, गिरा भई अति पंग

Ham To Nandgaon Ke Vasi

गोकुल की महिमा हम तो नंदग्राम के वासी नाम गोपाल, जाति कुल गोपहिं, गोप-गोपाल उपासी गिरिवरधारी, गोधनचारी, वृन्दावन-अभिलाषी राजा नंद जसोदा रानी, जलधि नदी जमुना सी प्रान हमारे परम मनोहर, कमल नयन सुखरासी ‘सूरदास’ प्रभु कहौ कहाँ लौं, अष्ट महासिधि दासी

Aali Mhane Lage Vrindawan Niko

वृन्दावन आली! म्हाँने लागे वृन्दावन नीको घर घर तुलसी ठाकुर पूजा, दरसण गोविन्दजी को निरमल नीर बहे जमना को, भोजन दूध दही को रतन सिंघासण आप बिराजे, मुगट धरै तुलसी को कुंजन कुंजन फिरै राधिका, सबद सुणै मुरली को ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, भजन बिना नर फीको

Jogi Mat Ja Mat Ja Mat Ja

विरह व्यथा जोगी मत जा, मत जा, मत जा, पाँव पड़ू मैं तोरे प्रेम भगति को पंथ है न्यारो, हमकूँ गैल बता जा अगर चंदन की चिता बनाऊँ, अपने हाथ जला जा जल-जल भई भस्म की ढेरी, अपने अंग लगा जा ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरिधर नागर, जोत में जोत मिला जा

Pag Ghungaru Bandh Meera Nachi Re

समर्पण पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे मैं तो मेरे नारायण की, आपहिं हो गई दासी रे लोग कहे मीराँ भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे विष को प्याला राणाजी भेज्यो, पीवत मीराँ हाँसी रे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ की दासी रे

Braj Me Aaj Sakhi Dekhyo Ri Tona

श्याम का जादू ब्रज में आज सखी देख्यो री टोना ले मटकी सिर चली गुजरिया, आगे मिले बाबा नंद का छोना दधि को नाम बिसरि गयो प्यारी, ले लेहुरी कोउ स्याम सलोना वृन्दावन की कुंज गलिन में, आँख लगाय गयो मन-मोहना ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुन्दर श्याम सुधर रस लोना

Main To Tore Charan Lagi Gopal

शरणागत मैं तो तोरे चरण लगी गोपाल जब लागी तब कोउ न जाने, अब जानी संसार किरपा कीजौ, दरसण दीजो, सुध लीजौ तत्काल ‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरिधर नागर, चरण-कमल बलिहार

Shyam Mohi Mat Tarsavo Ji

विरह व्यथा श्याम मोहि मत तरसावोजी तुम्हरे कारन सब सुख छोड्या, अब क्यूँ देर लगावोजी विरह विथा लागी उर अंतर, सो तुम आय बुझावोजी अब मत छोड़ो मोहि प्रभुजी, हँस कर तुरत बुलावोजी ‘मीराँ’ दासी जनम-जनम की, अंग से अंग मिलावोजी