Brajraj Aaj Pyare Meri Gali Me Aana
श्याम का सौन्दर्य ब्रजराज आज प्यारे मेरी गली में आना तेरी छबि मनोहर मुझको झलक दिखाना सिर मोर मुकुट राजे, बनमाल उर बिराजे नूपुर चरण में बाजे, कर में कड़ा सुहाना कुंडल श्रवण में सोहे, बंसी अधर धरी हो तन पीत वसन शोभे, कटि मेखला सजाना विनती यही है प्यारे, सुन नंद के दुलारे ‘ब्रह्मानंद’ […]
Apane Ko Sukhi Banaye Ham
अनासक्ति अपने को सुखी बनायें हम कामना पूर्ति जब नहीं होती, तत्काल क्रोध तब आ जाता जब खो देते विवेक तभी, संतुलन नहीं तब रह पाता हम अनासक्त हो कर्म करें, तो अहम् भाव ही मिट जाये प्रभु के हित होए कार्य तभी, कर्तापन भाव न रह पाये होए सहिष्णुता प्रेम भाव, ईर्ष्या व द्वेष […]
Aaya Sharan Tumhari Prabhu Ji
शरणागति आया शरण तुम्हारी प्रभुजी, रखिये लाज हमारी कनकशिपु ने दिया कष्ट, प्रह्ललाद भक्त को भारी किया दैत्य का अंत तुम्हीं ने, भक्तों के हितकारी ग्रस्त हुआ गजराज ग्राह से, स्तुति करी तुम्हारी आर्तस्तव सुन मुक्त किया, गज को तुमने बनवारी पांचाली की लगा खींचने, जब दुःशासन सारी किया प्रवेश चीर में उसके, होने दी […]
Kab Aaoge Krishna Murare
प्रतीक्षा कब आओगे कृष्ण मुरारे, आस में बैठी पंथ निहारूँ सूरज डूबा साँझ भी आई, दर पे खड़ी हूँ आस लगाये रात हुई और तारे निकले, कब आओगे कृष्ण मुरारे आधी रात सुनसान गली है, मैं हूँ अकेली गगन में तारे जागा सूरज सोए तारे, कब आओगे कृष्ण मुरारे भोर भई जग सारा जागा, हुआ […]
Krishna Radhika Radha Krishna
युगल स्वरूप कृष्ण राधिका, राधा कृष्ण, तत्व रूप से दोनों एक राधे श्याम, श्याम राधिके, भिन्न तथापि अभिन्न विवेक राधामय जीवन ही कृष्ण का, कृष्णचन्द्र ही जीवन रूप ऐकमेकता दिव्य युगल की, सदा एकरस तत्व अनूप दो के बिना न संभव होता, वितरण लीला का आस्वाद इसीलिये तो तन-मन से वे, लीला करते-निर्विवाद नित्य नया […]
Chal Rahe Bakaiyan Manmohan
बालकृष्ण चल रहे बकैयाँ मनमोहन, सन गये धूल में जो सोहन जब नहीं दिखी मैया उनको किलकारी मारे बार बार माँ निकट रसोईघर में थी, गोदी में लेकर किया प्यार आँचल से अंगों को पोछा और दूध पिलाने लगी उन्हें क्षीरोदधि में जो शयन करें, विश्वम्भर कहते शास्त्र जिन्हें
Chaitanya Swarup Hi Atma Hai
आत्मानुभूति चैतन्य स्वरूप ही आत्मा है यह शुद्ध देह का शासक है, अन्तःस्थित वही शाश्वत है आत्मा शरीर को मान लिया, मिथ्या-विचार अज्ञान यही यह देह मांसमय अपवित्र और नाशवान यह ज्ञान सही है इच्छाओं का तो अन्त नहीं, मन में जिनका होता निवास मृग-तृष्णा के ही तो सदृश, मानव आखिर होता निराश यह राग […]
Ja Ko Manvranda Vipin Haryo
वंदनावन-महिमा जाको मन वृन्दा विपिन हर्यो निरिख निकुंज पुंज-छवि राधे, कृष्ण नाम उर धर्यो स्यामा स्याम स्वरूप सरोवर, परी जगत् बिसर्यो कोटि कोटि रति काम लजावै, गोपियन चित्त हर्यो ‘श्रीभट’ राधे रसिकराय तिन्ह, सर्वस दै निबर्यो
Jo Kuch Hai Vah Parmeshwar Hai
तत्व चिंतन जो कुछ है वह परमेश्वर है वे जगत् रूप प्रकृति माया यदि साक्षी भाव से चिंतन हो मेरा पन तो केवल छाँया हम करें समर्पण अपने को, उन परमपिता के चरणों में और करें तत्व का जो विचार, सद्मार्ग सुलभ हो तभी हमें जो तत्व मसि का महावाक्य ‘वह तूँ है’ उनके सिवा […]