श्रीराम स्तवन
जो धनुष-बाण धारे, कटि पीत वस्त्र पहने
वे कमल-नयन राघव, सर्वस्व हैं हमारे
वामांग में प्रभु के, माँ जानकी बिराजै
नीरद सी जिनकी आभा, आया शरण तुम्हारे
रघुनाथ के चरित का, कोई न पार पाये
यश-गान होता जिनका, रघुनाथ पाप हारी
शिव-धनुष जिसने तोड़ा, मिथिला से नाता जोड़ा
असुरों के जो विनाशक, रक्षा करें हमारी
श्रीराम, रामचन्द्र, श्री रामभद्र राघव
नामों को जो भी जपते, सुख शांति उनको देते
रावणारि, रामचन्द्र, लोकाभिराम रघुवर
नामों का घोष सुनकर यमदूत भाग जाते
स्तवन ‘राम-रक्षा-स्तोत्र’ का जो करते
श्रीराम रक्षा करते, सुख शांति उसको देते
वाल्मीकि रूप कोकिल भी, महिमा जिनकी गाते
हनुमान जिनके सेवक, भवनिधि से पार करते

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