उदारता
मेरो भलो कियो राम, आपनी भलाई
मैं तो साईं-द्रोही पै, सेवक- हित साईं
रामसो बड़ो है कौन, मोसो कौन छोटो
राम सो खरो है कौन, मोसो कौन खोटो
लोक कहै रामको, गुलाम हौं कहावौं
एतो बड़ो अपराध भौ न मन बावों
पाथ-माथे चढे़तृन ‘तुलसी’ ज्यों नीचो
बोरत न वारि ताहि जानि आपुसींचो

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