शबरी की प्रीति
शबरी सगुन मनावत है, मेरे घर आवेंगे राम
बीज बीन फल लाई शबरी, दोना न्यारे न्यारे
आरति सजा प्रार्थना कीन्ही, छिन मंदिर छिन द्वारे
ऋषि के वचन सुनत मनमाहीं, हर्ष न ह्रदय समाई
घर को काम सकल तज दीन्हों, गुन रघुपति के गाई
अनुज सहित प्रभु दरसन दीन्हों, परी चरन लपटाई
‘तुलसीदास’ प्रभु अधम उधारन, दीन्ह जानि अपनाई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *