Mat Bandho Gathariya Apjas Ki

भक्ति रस मत बाँधो गठरिया, अपजस की यो संसार मेघ की छाया, करो कमाई हरि-रस की जोर जवानी ढलक जायगी, बाल अवस्था दस दिन की धर्मदूत जब फाँसी दारे, खबर लेत तेरी नस नस की कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, बात नहीं तेरे बस की