Main Apno Man Hari So Joryo

मोहन से प्रीति मैं अपनो मन हरि सों जोर्यो, हरि सों जोरि सबनसो तोर्यो नाच नच्यों तब घूँघट कैसो, लोक-लाज डर पटक पिछोर्यो आगे पाछे सोच मिट गयो, मन-विकार मटुका को फोर्यो कहनो थो सो कह्यो सखी री, काह भयो कोऊ मुख मोर्यो नवल लाल गिरिधरन पिया संग, प्रेम रंग में यह तन बोर्यो ‘परमानंद’ […]