Vipin So Aawat Bhawan Kanhai

वन वापसी विपिन सों आवत भवन कन्हाई संग गोप गौअन की टोली और सुघड़ बल भाई गोधूली बेला अति पावन, ब्रज रज वदन सुहाई नील कमल पै जनु केसर की, सोहत अति सुखराई साँझ समय यह आवन हरि की, निरखहिं लोग लुगाई सो छबि निरखन को हमरे हूँ, नयना तरसहिं माई

Vrindavan Kunj Bhawan

नाचत गिरधारी वृंदावन कुंज भवन, नाचत गिरिधारी धर-धर धर मुरलि अधर, भर-भर स्वर मधुर अधर कर-कर नटवर स्वरूप, सुंदर सुखकारी घन-घन घन बजत ताल, ठुम-ठुम ठुम चलत चाल चरणन छन छन छन छन, नूपुर धुन प्यारी घिर, घिर, घिर करत गान, फिर फिर फिर देत तान मिल, मिल, मिल रचत रास, संग गोप नारी चम, […]

Chalo Ri Sakhi Nand Bhawan Ko Jayen

प्रभाती चलोरी सखि, नन्द भवन को जायें मिले श्याम सुन्दर का दर्शन, जीवन की निधि पायें प्रातः काल भयो सखि माँ लाला को रही जगाये उबटन लगा लाल को मैया, अब उसको नहलाये स्नेह भाव जसुमति के मन में, नवनीत उसे खिलाये केश सँवार नयन में काजल, माथे तिलक लगाये रेशम को जामा पहनाकर, स्नेह […]

Nand Bhawan Ko Bhushan Bhai

कृष्ण कन्हैया नंद भवन को भूषन भाई अतुलित शोभा स्याम सुँदर की नवनिधि ब्रज में छाई जसुमति लाल वीर हलधर को राधारमन परम सुखदाई काल को काल, परम् ईश्वर को सामर्थ अतुल न तोल्यो जाई ‘नन्ददास’ को जीवन गिरिधर, गोकुल गाँव को कुँवर कन्हाई  

Bheje Man Bhawan Ke Uddhav Ke Aawan Ki

गोपियों की ललक भेजे मन-भावन के उद्धव के आवन की, सुधि ब्रज-गाँवनि में पावन जबैं लगी कहैं, ‘रतनाकर’ गुवालिनि की झौरि-झौरि, दौरि-दौरि नंद-पौरि आवन तबै लगीं उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै, पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छबै लगीं हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, कहन सबै लगीं