Bharosa Dradh In Charanan Kero

शरणागति भरोसो दृढ़ इन चरणन केरो श्री वल्लभ नख-चन्द्र छटा बिनु, सब जग माँझ अँधेरो साधन और नहीं या कलि में, जासो होत निबेरो ‘सूर’ कहा कहैद्विविध आँधरो, बिना मोल को चेरो

Main Hari Charanan Ki Dasi

हरि की दासी मैं हरि चरणन की दासी मलिन विषय रस त्यागे जग के, कृष्ण नाम रस प्यासी दुख अपमान कष्ट सब सहिया, लोग कहे कुलनासी आओ प्रीतम सुन्दर निरुपम, अंतर होत उदासी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चैन, नींद सब नासी

Kishori Tere Charanan Ki Raj Pau

श्री श्री राधा महात्म्य किशोरी तेरे चरणन की रज पाऊँ बैठि रहौं कुंजन की कोने, श्याम राधिका गाऊँ जो रज शिव सनकादिक लोचन, सो रज शीश चढाऊँ राधा स्वामिनि की छवि निरखूँ, नित्य विमल यश गाऊँ अद्वितीय सौन्दर्य तुम्हारा, मन-मंदिर बिठलाऊँ