Dhanya Nand Dhani Jasumati Rani

धन्य नन्द-यशोदा धन्य नन्द, धनि जसुमति रानी धन्य ग्वाल गोपी जु खिलाए, गोदहि सारंगपानी धन्य व्रजभूमि धन्य वृन्दावन, जहँ अविनासी आए धनि धनि ‘सूर’ आह हमहूँ जो, तुम सब देख न पाए

Dhani Dhani Vrindawan Var Dham

श्री वृन्दावन धाम धनि धनि वृन्दावन वर धाम भौतिकता तो नहीं जरा भी, जग प्रपंच को नहिं कछु काम श्यामा श्याम केलि थल अनुपम, नित नूतन क्रीड़ा अभिराम लाड़ लड़ावति लली लालकूँ, राग भोग तजि और न काम पालन सृजन प्रलय देवन को, काम करें अज हरि हर नाम नित्य किशोर किशोरी संग में, रचै […]