Mohan Ne Murali Adhar Dhari

मुरली का जादू मोहन ने मुरली अधर धरी वृन्दावन में ध्वनि गूंज रही, सुन राधे-स्वर सब मुग्ध हुए कोई न बचा इस जादू से, सबके मन इसने चुरा लिए जड़ भी चैतन्य हुए सुन कर, उन्मत्त दशा पशु पक्षी की जल प्रवाह कालिन्दी में रुक गया, कला ये वंशी की गोपीजन की गति तो विचित्र, […]

Aarti Girivar Dhari Ki

राधाकृष्ण आरती आरती गिरिवरधारी की, मोहिनी कीर्ति-कुमारी की बैजंती माला उर धारी, पीत-पट की शोभा न्यारी लाड़िली की शोभा भारी, वदन स्वर्णिम है मनहारी युगल सुन्दरता सुखकारी, —-आरती …. भाल पर तिलक बेंदी दमके, कान में कुण्डल भी चमके चरण में नुपूर ध्वनि झमके, दिव्य शोभा मन में अटके माधुरी मुख की रुचिकारी, —-आरती ….. […]