Fagun Ke Din Char Re Hori Khel Mana Re

आध्यात्मिक होली फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झणकार रे बिन सुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे सील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे घट के सब पट खोल दिये हैं, लोक लाज सब […]

Sakhi Aayo Fagun Mas

होली सखि, आयो फागुन मास, चलों हम खेलें होरी गोपी-जन को कहें प्रेम से राधा गोरी इतने में ज्यों दिखे श्याम, गोपियाँ दौड़ी आई कहाँ छिपे थे प्यारे अब तक कृष्ण कन्हाई घेर श्याम को होरी की फिर धूम मचाई सब मिलकर डाले रंग उन्हीं पर, सुधि बिसराई मौका पा पकड़े मोहन राधा रानी को […]