Mamta Tu N Gai Mere Man Te

वृद्ध अवस्था ममता तू न गई मेरे मन तें पाके केस जनम के साथी, लाज गई लोकन तें तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें श्रवण वचन न सुनत काहू के, बल गये सब इन्द्रिन तें टूटे दाँत वचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें भाई बंधु सब परम पियारे, नारि निकारत घर […]

Main Apani Sab Gai Chare Ho

गौ चारण लीला मैं अपनी सब गाइ चरैहौं प्रात होत बल के संग जैहौं, तेरे कहे न रैहौं ग्वाल-बाल गाइनि के भीतर, नेकहु डर नहिं लागत आजु न सोवौं, नंद-दुहाई, रैनि रहौंगो जागत और ग्वाल सब गाइ चरैहैं, मैं घर बैठौ रैहौं ‘सूर’ श्याम, तुम सोइ रहो अब, प्रात जान मैं दैहौं

Maiya Gai Charawan Jehon

गौ-चारण मैया ! गाइ चरावन जैहौ तू कहि महर नंदबाबा सौं, बड़ौ भयौ न डरैहौं रैता, पैता, मना, मनसुखा, हलधर संगहि रैहौं बंसीबट पर ग्वालिन कै संग, खेलत अति सुख पैहौं मैया, भोजन दै दधि काँवरि, भूख लगे तैं खैहौं ‘सूरदास’ है साखि जमुन-जल, सौंह देहु जु नहैहौं

Mohan Jagi Ho Bali Gai

प्रभाती मोहन जागि, हौं बलि गई तेरे कारन श्याम सुन्दर, नई मुरली लई ग्वाल बाल सब द्वार ठाड़े, बेर बन की भई गय्यन के सब बन्ध छूटे, डगर बन कौं गई पीत पट कर दूर मुख तें, छाँड़ि दै अलसई अति अनन्दित होत जसुमति, देखि द्युति नित नई जगे जंगम जीव पशु खग, और ब्रज […]

Kanha Thari Jowat Rah Gai Baat

विरह व्यथा कान्हा! थारी जोवत रह गई बाट जोवत-जोवत इक पग ठाढ़ी, कालिन्दी के घाट छल की प्रीति करी मनमोहन, या कपटी की बात ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ब्रज को कियो उचाट

Bin Kaju Aaj Maharaj Laj Gai Meri

द्रोपदी का विलाप बिन काज आज महाराज लाज गई मेरी दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी दुःशासन वंश कठोर, महा दुखदाई खैंचत वह मेरो चीर लाज नहिं आई अब भयो धर्म को नास, पाप रह्यो छाई यह देख सभा की ओर नारि बिलखाई शकुनि दुर्योधन, कर्ण खड़े खल घेरी दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी […]

Main Bhul Gai Sakhi Apne Ko

गोपी की प्रीति मैं भूल गई सखि अपने को नित्य मिलन का अनुभव करती, जब से देखा मोहन को प्रात: संध्या दिवस रात का, भान नहीं रहता मुझको सपने में भी वही दिखता, मन की बात कहूँ किसको कैसी अनुपम मूर्ति श्याम की, कैसा मनहर उसका रूप नयन हुए गोपी के गीले, छाया मन सौन्दर्य […]