Khelan Ko Hari Duri Gayo Ri

यशोदा की चिन्ता खेलन कौं हरि दूरि गयौ री संग-संग धावत डोलत हैं, कह धौं बहुत अबेर भयौ री पलक ओट भावत नहिं मोकौं, कहा कहौं तोहि बात नंदहिं तात-तात कहि बोलत, मोहि कहत है मात इतनो कहत स्याम-घन आये, ग्वाल सखा सब चीन्हे दौरि जाइ उर लाइ ‘सूर’ प्रभु, हरषि जसोदा लीन्हे

Gayo Man Shyam Sang Hi Bhag

श्याम रंग गयो मन श्याम संग ही भाग मुरली की धुन पड़ी कान में, मन उमग्यो अनुराग अधर-सुधा-रस भरी सुनाई, दिव्य मधुरतम राग मधुर मिलन की गोपीजन मन, उठी कामना जाग कैसा प्रबल प्रेम है इनका, जग से हुआ विराग दर्शन जिसको मिले श्याम का, उसका ही बड़भाग श्रुतियाँ ढूँढ रहीं हैं जिनको, पाये न […]