Ghanshyam Bulawe Radha

हिंडोला (राजस्थानी) घनश्याम बुलावे राधा, थे झूलण चालो बाग में मलय-चँदन को बन्यो हिंडोलो, बँधी रेशमी डोर झूलो आप झुलावे मोहन, नाच रह्यो मन-मोर सजधज आई बाग में राधा, कण्ठ फूल को हार चम्पा, जूही और चमेली, शीतल बहे बयार दादुर, मोर, पपीहा बोले, पीव पीव करे पुकार शिव, ब्रह्मा सनकादिक निरखे, कोई न पायो […]

Ghanshyam Mujhe Apna Leo

शरणागति घनश्याम मुझे अपना लेओ, मैं शरण तुम्हारे आन पड़ी मैंने मात, पिता घर बार तजे, तो लोग कहें मैं तो बिगड़ी अब छोड़ सभी दुनियादारी, मैं आस लगा तेरे द्वार खड़ी यौवन के दिन सब बीत गये, नहिं चैन मुझे अब एक घड़ी हे प्राणेश्वर, हे मुरलीधर, मुझको है तुमसे आस बड़ी वह नयन […]

Tum Prem Ke Ho Ghanshyam

प्रेमवश प्रभु तुम प्रेम के हो घनश्याम गोपीजन के ऋणी बने तुम, राधा वल्लभ श्याम शबरी के जूँठे फल खाये, सीतापति श्रीराम लंका राज विभीषण पायो, राम भक्ति परिणाम बंधन मुक्त करे निज जन को, जसुमति बाँधे दाम गाढ़ी प्रीत करी ग्वालन संग, यद्यपि पूरम-काम व्यंजन त्याग साग को भोजन, कियो विदुर के ठाम राजसूय […]