Shyam Kahat Puja Giri Mani

अन्नकूट श्याम कहत पूजा गिरि मानी जो तुम भाव-भक्ति सों अरप्यो, देवराज सब जानी तुम देखत भोजन सब कीनो, अब तुम मोहि प्रत्याने बड़ो देव गिरिराज गोवर्धन, इनहि रहो तुम माने सेवा भली करी तुम मेरी, देव कही यह बानी ‘सूर’ नंद मुख चुंबत हरि को, यह पूजा तुम ठानी