Hari Tum Haro Jan Ki Pir

पीड़ा हरलो हरि तुम हरो जन की भीर द्रौपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर भक्त कारन रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर हरिणकस्यप मारि लीन्हौं, धर्यो नाहिं न धीर बूड़तो गजराज राख्यौ, कियो बाहर नीर दासी ‘मीराँ’ लाल गिरिधर, हरो म्हारी पीर

Kalika Kashta Haro He Maa

माँ दुर्गा की स्तुति कालिका कष्ट हरो हे माँ! नील-मणि के सम कांति तुम्हारी, त्रिपुर सुन्दरी माँ चन्द्र मुकुट माथे पर धारे, शोभा अतुलित माँ किया आपने महिषासुर वध, शुंभ निशुंभ विनाश शक्ति न ऐेसी और किसी में, छाया अति उल्लास ऋषि, मुनि, देव समझ ना पाये, महिमा अपरंपार कौन दूसरा जान सके, माँ विश्व […]