Ek Hi Swaroop Radhika Krishna

युगल सरकार एक ही स्वरूप राधिका कृष्ण, लीला रस हेतु ही पृथक रूप एक प्राण हैं श्री राधा मोहन, अरु प्रीति परस्पर भी अनूप राधा रानी है पूर्ण शक्ति, गोवर्धन-धारी शक्तिमान श्रीकृष्ण पुकारे राधा को, मुरली में गूँजे वही तान आह्लाद रूपिणी श्री राधा, श्री विग्रह उनका चपला सा मुख की सुंदरता अद्वितीय और हाव-भाव […]

Shri Ram Jape Ham Kaise Hi

राम नाम महिमा श्री राम जपें हम कैसे ही उलटा नाम जपा वाल्मीकि ने, ब्रह्मर्षि हो गये वही लिया अजामिल ने धोखे से नाम तर गया भवसागर द्रुपद-सुता जब घिरी विपद् से, लाज बचाई नटनागर गज, गणिका का काम बन गया, प्रभु-कृपा से ही तो प्रतीति प्रीति हो दो अक्षर में, श्रीराम मिले उसको तो […]

Karmo Ka Fal Hi Sukh Dukh Hai

कर्म-फल कर्मों का फल ही सुख दुख है जिसने जैसा हो कर्म किया, उसका फल वह निश्चित पायेगा जो कर्म समर्पित प्रभु को हो, तो वह अक्षय हो जायेगा जो भी ऐसा सत्कर्मी हो, वह उत्तम गति को पायेगा जो व्यक्ति करे निष्काम कर्म, सर्वथा आश्रित प्रभु के ही ऐसे भक्तों का निस्संदेह, उद्धार स्वयं […]

Shri Vishnu Dattatrey Hi

भगवान दत्तात्रेय श्री विष्णु दत्तात्रेय ही, सादर नमन उनको करुँ रहते दिगम्बर वेष में, अज्ञान हरते सद्गुरु दुख दूर करने प्राणियों का, तप किया मुनि अत्रि ने बेटा बनूँगा आपका, बोला प्रकट हो विष्णु ने आत्रेय माता अनसुया, जिनमें अहं निःशेष था सर्वोच्च सती के रूप में, प्रख्यात उनका नाम था सती धर्म की लेने […]

Kaha Karun Vaikuntha Hi Jaaye

ब्रज महिमा कहा कँरू वैकुण्ठ ही जाये जहाँ नहिं नंद जहाँ न जसोदा, जहाँ न गोपी ग्वाल न गायें जहाँ न जल जमुना को निर्मल, जहँ नहिं मिले कदंब की छायें जहाँ न वृन्दावन में मुरली वादन सबका चित्त चुराये ‘परमानंद’ प्रभु चतुर ग्वालिनि, व्रज तज मेरी जाय बलाये 

Sarvatra Bramh Ki Satta Hi

ब्रह्ममय जगत् सर्वत्र ब्रह्म की सत्ता ही यह जगत् जीव के ही सदृश, है अंश ब्रह्म का बात यही माया विशिष्ट हो ब्रह्म जभी, तब वह ईश्वर कहलाता है ईश्वर, निमित्त व उपादान से दृश्य जगत् हो जाता है जिस भाँति बीज में अंकुर है, उस भाँति ब्रह्म में जग भी है सो जीव, सृष्टि, […]

Krishna Katha Nit Hi Sune

सदुपदेश कृष्ण-कथा नित ही सुनें, श्रद्धा प्रेम बढ़ाय जो भी वस्तु परोक्ष हो, सुनें ध्यान में आय नेत्र-कोण की लालिमा, मन्द मन्द मुस्कान वस्त्राभूषण प्रीतिमा, मोहन का हो ध्यान श्रीहरि के माहात्म्य का, करे नित्य ही गान सुदृढ़ प्रेम उन से करें, माधुरी का रस-पान श्रवण, कीर्तन, भजन हो, स्वाभाविक हरि-ध्यान विषयों में रुचि हो […]

Gayo Man Shyam Sang Hi Bhag

श्याम रंग गयो मन श्याम संग ही भाग मुरली की धुन पड़ी कान में, मन उमग्यो अनुराग अधर-सुधा-रस भरी सुनाई, दिव्य मधुरतम राग मधुर मिलन की गोपीजन मन, उठी कामना जाग कैसा प्रबल प्रेम है इनका, जग से हुआ विराग दर्शन जिसको मिले श्याम का, उसका ही बड़भाग श्रुतियाँ ढूँढ रहीं हैं जिनको, पाये न […]