हितकारी राम
ऐसे राम दीन हितकारी
अति कोमल करुना निधान बिनु कारन पर-उपकारी
साधन हीन दीन निज अघ बस सिला भई मुनि नारी
गृहते गवनि परसि पद-पावन घोर सापते तारी
अधम जाति शबरी नारी जड़ लोक वेद ते न्यारी
जानि प्रीत दै दरस कृपानिधि सोउ रघुनाथ उबारी
रिपु को अनुज विभिषन निशिचर, कौन भजन अधिकारी
सरन गये आगे ह्वै लीन्हा, भेंट्यो भुजा पसारी
कह लगि कहौं दीन अनगिनत, जिनकी विपति निवारी
कलि-मल-ग्रसित दास ‘तुलसी’ पर काहे कृपा बिसारी
Tag: Hitkari
Dinan Dukh Haran Dev Santan Hitkari
भक्त के भगवान
दीनन दुख हरन देव संतन हितकारी
ध्रुव को हरि राज देत, प्रह्लाद को उबार लेत
भगत हेतु बाँध्यो सेतु, लंकपुरी जारी
तंदुल से रीझ जात, साग पात आप खात
शबरी के खाये फल, खाटे मीठे खारी
गज को जब ग्राह ग्रस्यो, दुःशासन चीर खस्यो
सभा बीच कृष्ण कृष्ण, द्रौपदी पुकारी
इतने हरि आय गये, वसनन आरूढ़ भये
‘सूरदास’ द्वारे ठाढ़ो, आँधरो भिखारी
Prabhu Ji Tum Bhakton Ke Hitkari
भक्त-वत्सल भगवान
प्रभुजी तुम भक्तों के हितकारी
हिरणाकश्यप ने भक्त प्रहलाद को कष्ट दिया जब भारी
नरसिंह रूप लिये प्रभु प्रकटें, भक्तों के रखवारी
जभी ग्राह ने पकड़ा गज को, आया शरण तुम्हारी
सुन गुहार के मुक्त किया गज, भारी विपदा टारी
दुष्ट दुःशासन खींच रहा था, द्रुपद-सुता की साड़ी
दौड़े आये लाज बचाई, हे श्रीकृष्ण मुरारी
भई अहिल्या शिला शापवश, जो गौतम ऋषि नारी
चरण छुआ उद्धार किया था, दीर्घ आपदा टारी
पृथा-पुत्र के बने सारथी, कौरव-सेना हारी
करुणा सागर आओ आओ, राखो हमारी