Jasoda Hari Palne Jhulawe

पालना जसोदा हरि पालना झुलावै मेरे लाल की आउ निंदरिया, काहे न आन सुवावै तूँ काहैं नहि बेगिहि आवै, तोको कान्ह बुलावै कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै सौवत जानि मौन ह्वैके रहि, करि करि सैन बतावै जो सुख ‘सूर’ देव मुनि दुरलभ, सो नँद भामिनि पावें

Nandahi Kahat Jasoda Rani

मुख में सृष्टि नंदहि कहत जसोदा रानी माटी कैं मिस मुख दिखरायौ, तिहूँ लोक रजधानी स्वर्ग, पताल, धरनि, बन, पर्वत, बदन माँझ रहे आनी नदी-सुमेर, देखि भौंचक भई, याकी अकथ कहानी चितै रहे तब नन्द जुवति-मुख, मन-मन करत बिनानी सूरदास’ तब कहति जसोदा, गर्ग कही यह बानी

Sut Mukh Dekhi Jasoda Phuli

यशोदा का स्नेह सुत-मुख देखि जसोदा फूली हरषित देखि दूध की दंतुली, प्रेम-मगन तन की सुधि भूली बाहिर तें तब नन्द बुलाए, देखौं धौ सुन्दर सुखदाई तनक-तनक-सी दूध दँतुलियाँ, देखौ, नैन सफल कारौं आई आनँद सहित महर तब आये, मुख चितवत दोउ नैन अघाई ‘सूर’ स्याम किलकत द्विज देखे, लगै कमल पे बिज्जु छाई

Jasoda Kaha Kahon Hon Baat

लाला की करतूत जसोदा! कहा कहों हौं बात तुम्हरे सुत के करतब मोसे, कहत कहे नहिं जात भाजन फोरि, ढोलि सब गोरस, ले माखन-दधि खात जो बरजौं तो आँखि दिखावै, रंचु-नाहिं सकुचात और अटपटी कहलौं बरनौ, छुवत पान सौं गात दास ‘चतुर्भुज’ गिरिधर-गुन हौं, कहति कहति सकुचात 

Jasoda Tero Bhagya Kahyo Na Jay

यशोदा का भाग्य जसोदा तेरो भाग्य कह्यो ना जाय जो मूरति ब्रह्मादिक दुर्लभ, सो ही प्रगटी आय शिव, नारद, सनकादिक, महामुनि मिलवे करत उपाय जे नंदलाल धूरि धूसर वपु, रहत कंठ लपटाय रतन जटित पौढ़ाय पालने, वदन देखि मुसकाय बलिहारी मैं जाऊँ लाल पे, ‘परमानंद’ जस गाय  

Dhanya Sakhi Suno Jasoda Maiya

बालकृष्ण चरित धन्य सखी सुनो जसोदा मैया घुँटुरन चलत बालकृष्ण अति कोमल नन्हें पैया मनमोहन को रूप रसीलो, गोपीजन मन भावत बारंबार कमल मुख निरखत, नंदालय सब आवत किलकि किलकि हुलसत है लालन, भगत बछल मनरंजन देत असीस सबहि गोपीजन, चिरजीवो दुख-भंजन