Jewat Kanh Nand Ik Thore

भोजन माधुरी जेंवत कान्ह नन्द इक ठौरे कछुक खात लपटात दोउ कर, बाल केलि अति भोरे बरा कौर मेलत मुख भीतर, मिरिच दसन टकटौरे तीछन लगी नैन भरि आए, रोवत बाहर दौरे फूँकति बदन रोहिनी ठाड़ी, लिए लगाइ अँकोरे ‘सूर’ स्याम को मधुर कौर दे, कीन्हे तात निहोरे

Jewat Kanh Nand Ju Ki Kaniya

बालकृष्ण को जिमाना जेंवत कान्ह नन्दजू की कनियाँ कछुक खात कछु धरनि गिरावत, छबि निरखत नँद–रनियाँ बरी, बरा, बेसन बहु भाँतिन, व्यंजन विविध अँगनियाँ आपुन खात नंद-मुख नावत, यह सुख कहत न बनियाँ आपुन खात खवावत ग्वालन, कर माखन दधि दोनियाँ सद माखन मिश्री मिश्रित कर, मुख नावत छबि धनियाँ जो सुख महर जसोदा बिलसति, […]

Dou Bhaiya Jewat Ma Aage

भोजन दोउ भैया जैंवत माँ आगै पुनि-पुनि लै दधि खात कन्हाई, और जननि पे माँगे अति मीठो दधि आज जमायौ, बलदाऊ तुम लेहु देखौ धौं दधि-स्वाद आपु लै, ता पाछे मोहि देहु बल-मोहन दोऊ जेंवत रूचि सौं, सुख लूटति नँदरानी ‘सूर’ श्याम अब कहत अघाने, अँचवन माँगत पानी