Jo Lo Man Kamna N Chute

कामना का त्यचक्ष जो लौं मन कामना न छूटै तो कहा जोग जज्ञ व्रत कीन्हैं, बिनु कन तुस को कूटै कहा असनान किये तीरथ के, राग द्वेष मन लूटै करनी और कहै कछु औरे, मन दसहूँ दिसी टूटै काम, क्रोध, मद, लोभ शत्रु हैं, जो इतननि सों छूटै ‘सूरदास’ तब ही तम नासै, ज्ञान – […]

Jo Nishchal Bhakti Kare

शिव आराधना जो निश्छल भक्ति करे उसको, भोले शम्भू अपना लेते वे धारण करें रजोगुण को, और सृष्टि की रचना करते होकर के युक्त सत्त्वगुण से, वे ही धारण पोषण करते माया त्रिगुणों से परे प्रभु, शुद्ध स्वरूप स्थित होते ब्रह्मा, विष्णु, अरु, रुद्र, रूप, सृष्टि, पालन,लय वहीं करें हैं पूर्ण ब्रह्म प्रभु आशुतोष, अपराध […]

Jo Sukh Braj Me Ek Ghari

ब्रज का सुख जो सुख ब्रज में एक घरी सो सुख तीनि लोक में नाहीं, धनि यह घोष पुरी अष्ट सिद्धि नव निधि कर जोरे, द्वारैं रहति खरी सिव-सनकादि-सुकादि-अगोचर, ते अवतरे हरी धन्य धन्य बड़ भागिनि जसुमति, निगमनि सही परी ऐसे ‘सूरदास’ के प्रभु को, लीन्हौ अंक भरी

Jo Param Shant Shri Lakshmikant

श्री नारायण स्तुति जो परम शांत श्री लक्ष्मी-कांत, जो शेष-नाग पर शयन करें वे पद्मनाभ देवाधिदेव, वे जन्म मरण का कष्ट हरें है नील मेघ सम श्याम वर्ण, पीताम्बर जिनके कटि राजे हे अंग सभी जिनके सुन्दर, शोभा पे कोटि मदन लाजे ब्रह्मादि देव अरू योगी जन, जिनका हृदय में धरे ध्यान वे कमल नयन […]

Jo Sukh Hot Gopalhi Gaye

गोपाल का गुणगान जो सुख होत गोपालहिं गाये सो न होत जपतप व्रत संयम, कोटिक तीरथ न्हाये गदगद गिरा नयन जल धारा, प्रेम पुलक तनु छाये तीन लोक सुख तृणवत लेखत, नँद-नंदन उर आये दिये लेत नहिं चार पदारथ, हरि चरणन अरुझाये ‘सूरदास’ गोविन्द भजन बिनु, चित नहीं चलत चलाये

Jo Paanch Tatva Se Deh Bani

तत्व चिन्तन जो पाँच तत्व से देह बनी, वह नाशवान ऐसा जानो जीना मरना तो साथ लगा, एक तथ्य यही जो पहचानो परमात्मा ही चेतन स्वरूप और जीव अंश उसका ही है सच्चिदानंद दोनों ही तो, निर्गुण वर्णन इसका ही है जैसे की सींप में रजत दिखे, मृगतृष्णा जल होता न सत्य सम्पूर्ण जगत् ही […]

Jo Ham Bhale Bure To Tere

शरणागति जो हम भले-बुरे तो तेरे तुमहिं हमारी लाज बड़ाई, विनती सुनु प्रभु मेरे सब तजि तव सरनागत आयो, निज कर चरन गहे रे तव प्रताप बल बदत न काहू, निडर भये घर चेरे और देव सब रंक भिखारी, त्यागे बहुत अनेरे ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरि कृपा ते, पाये सुख जु घनेरे

Jo Pran Tyage Dharma Hit

प्राणोत्सर्ग जो प्राण त्यागे धर्म हित, वह सद्गति को प्राप्त हो सम्राट नामी थे दिलीप, गौ-नन्दिनी भयग्रस्त थी दबोच रक्खा था उसे बली सिंह ने, संकट में थी तब गौ की रक्षा हेतु से, महाराज बोले सिंह को अपनी क्षुधा को शान्त कर, खा ले तूँ मेरी देह को गौ कामधेनु की सुता थी, जिसको […]

Soi Rasna Jo Hari Gun Gawe

हरि भक्ति सोइ रसना जो हरि गुन गावै नैनन की छबि यहै चतुरता, जो मुकुन्द-मकरन्दहिं ध्यावै निरमल चित तो सोई साँचो, कृष्ण बिना जिहिं और न भावै श्रवननि की जु यहै अधिकाई, सुनि हरि-कथा सुधारस पावै कर तेई जो स्यामहिं सैवै, चरननि चलि वृन्दावन जावै ‘सूरदास’ जैयै बलि ताके, जों हरि जू सों प्रीति बढ़ावै

Jo Bit Gaya So Bit Gaya

हरि भजन जो बीत गया सो बीत गया, पल भर भी वापस नहीं आये बहुमूल्य समय धन से बढ़कर, आदर उसका हम कर पाये यह समय काल है वास्तव में, सबकी जो प्रतिपल उम्र हरे जो करे समय का सदुपयोग तो, मानो उस पर विजय करे घर बार धनार्जन कार्यों से अवकाश निकाले नित्य आप […]