राम स्मरण
कलि नाम कामतरु राम को
दलनिहार दारिद दुकाल दुख, दोष घोर धन धाम को
नाम लेत दाहिनों होत मन वाम विधाता वाम को
कहत मुनीस महेस महातम, उलटे सूधे नाम को
भलो लोक – परलोक तासु जाके बल ललित – ललाम को
‘तुलसी’ जग जानियत नामते, सोच न कूच मुकाम को
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Ek Ram Bharosa Hi Kali Main
राम भरोसा
एक राम भरोसा ही कलि में
वर्णाश्रम धर्म न दिखे कहीं, सुख ही छाया सबके मन में
दृढ़ इच्छा विषय भोग की ने, कर्म, भक्ति, ज्ञान को नष्ट किया
वचनों में ही वैराग्य बचा और वेष ने सबको लूट लिया
सच्चे मन से जो जीवन में, रामाश्रित कोई हो पाये
भगवान अनुग्रह से निश्चय, भवसागर पार उतर जाये
Main Kusum Kali Hun Pujan Ki
पूजन में प्रेम
मैं कुसुम कली हूँ पूजन की, है अहो भाग्य यह मेरा
फूलों की मैं माला बन कर, मैं प्रिय के गले लगूँगी
उनका मन आल्हादित करके, मैं धन्य-भाग्य होऊँगी
मन-मोहन को रिझा सकूँगी, पुष्पगंध के द्वारा
अपना जीवन सफल करूँगी, पा लूँगी सुख सारा
गद्गद् तब मैं हो जाऊँगी, अश्रुपात नयनों से
राधावर से होगा मिलाप, तब पूरे अन्तर-मन से