Chintan Karti Sada Gopiyan

गौधरण चिन्तन करतीं सदा गोपियाँ, मुरलीधर का रम जातीं कर गान श्याम की लीलाओं का जभी चराने गौंओं को वे वन में जाते उनकी चर्चा करें, शाम तक जब वे आते अरी सखी! वंशी में जब वे स्वर को भरते सिद्ध पत्नियों के मन को नन्दनन्दन हरते मोर पंख का मुकट श्याम के मस्तक सोहे […]