Antarman Se Karu Archana

गायत्री स्तवन अन्तर्मन से करूँ, अर्चना हे गायत्री माता जपे आपका महामंत्र, वह सभी सिद्धियाँ पाता अनुपम रूप आपका माता, वर्णन हो नहीं पाता महिमा अपरम्पार आपकी, भक्तों की हो त्राता दिव्य तेज की एक किरण से, मन प्रकाश भर जाता

Ab Main Koun Upay Karu

असमंजस अब मैं कौन उपाय करूँ जेहि बिधि मनको संसय छूटै, भव-निधि पार करूँ जनम पाय कछु भलो न कीन्हों, ताते अधिक डरूँ गुरुमत सुन के ज्ञान न उपजौ, पसुवत उदर भरूँ कह ‘नानक’ प्रभु बिरद पिछानौ, तब मैं पतित तरूँ 

Main Karu Vinati Maa Durga

दुर्गा देवी स्तुति मैं करूँ विनती माँ दुर्गा, दुर्गति हारिणी महाकाल सर्वांग सुन्दरी ज्योतिर्मय, कस्तुरी केसर-तिलक भाल मुस्कान अधर पे मंद-मंद, आभूषण शोभित रत्न माल मस्तक पर मंडित अर्ध चन्द्र, माँ के वैभव का नहीं पार सावित्री, सन्ध्या, महादेव, हरिअज वन्दित महिमा अपार सौभाग्यदायिनी जग-जननी, माँ राग द्वेष अभिमान हरो हो न्यौछावर जो भी मेरा, […]