Koi Kahiyo Re Prabhu Aawan Ki

विरह व्यथा कोई कहियौ रे प्रभु आवन की, आवन की मन भावन की आप न आवै, लिख नहिं भेजै, बान पड़ी ललचावन की ए दोऊ नैन कह्यो नहिं माने, नदियाँ बहे जैसे सावन की कहा करूँ कछु नहिं बस मेरो, पाँख नहीं उड़ जावन की ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, चेरी भई तेरे दामन […]

Aaj Sakhi Raghav Ki Sudhi Aai

स्मृति आज सखि! राघव की सुधि आई आगे आगे राम चलत है, पीछे लक्ष्मण भाई इनके बीच में चलत जानकी, चिन्ता अधिक सताई सावन गरजे भादों बरसे,पवन चलत पुरवाई कौन वृक्ष तल भीजत होंगे, राम लखन दोउ भाई राम बिना मोरी सूनी अयोध्या, लक्ष्मण बिन ठकुराई सीता बिन मोरी सूनी रसोई, महल उदासी छाई

Mat Yashoda Shri Ganesh Ki

श्री गणेश-श्री कृष्ण मात यशोदा श्री गणेश की पूजा करने को आई मोदक भर कर थाल सजाया, कान्हा को सँग में लाई नटवर की नटखट चालों की, याद उन्हें जैसे आई विघ्न न पूजा में हो जाये, शंका मन में जब आई तभी कन्हैया को खम्भे से, डोरी से जो बाँध दिया फिर विघ्नेश्वर की […]

Mangal Aarti Divya Yugal Ki

युगल किशोर आरती मंगल आरति दिव्य युगल की, मंगल प्रीति रीति है उनकी मंगल कान्ति हँसनि दसनन की, मंगल मुरली मीठी धुन की मंगल बनिक त्रिभंगी हरि की, मंगल चितवनि मृगनयनी की मंगल सिर चंद्रिका मुकुट की, मंगल छबि नैननि में अटकी मंगल शोभा पियरे पटकी, मंगल आभा नील-वसन की मंगल आभा कमलनयन की, मंगल […]

Barse Badariya Sawan Ki

प्रतीक्षा बरसे बदरिया सावन की, सावन की मनभावन की सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, आनँद मंगल गावन की

Aashadh Mas Ki Poonam Thi

महर्षि व्यास आषाढ़ मास की पूनम थी, तब व्यास देव का जन्म हुआ वेदों के मंत्रों, सूक्तों को, संहिता रूप से पिरो दिया पुराण अठारह उप-पुराण में, वेदों का विस्तार किया महाभारत द्वारा भारत का, सांस्कृतिक कोष निर्माण किया साहित्य समृद्ध इतना उनका, गुरु पद से उनको मान दिया भगवान व्यास के हम कृतज्ञ, उनको […]

Main Kusum Kali Hun Pujan Ki

पूजन में प्रेम मैं कुसुम कली हूँ पूजन की, है अहो भाग्य यह मेरा फूलों की मैं माला बन कर, मैं प्रिय के गले लगूँगी उनका मन आल्हादित करके, मैं धन्य-भाग्य होऊँगी मन-मोहन को रिझा सकूँगी, पुष्पगंध के द्वारा अपना जीवन सफल करूँगी, पा लूँगी सुख सारा गद्गद् तब मैं हो जाऊँगी, अश्रुपात नयनों से […]

Aarti Shri Vrashbhanu Lali Ki

राधारानी आरती आरती श्रीवृषभानुलली की, सत्-चित-आनंद-कद-कली की भयभंजनि भव-सागर-तारिणि, पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि, दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि, जन पालिनि जग जननि भली की अखिल विश्व आनन्द विधायिनि, मंगलमयी वैभव सुख-दायिनि, नंद नँदन पद-प्रेम प्रदायिनि, अमिय-राग-रस रंग-रली की नित्यानन्दमयी आल्हादिनि लीलाएँ-आनंद-प्रदायिनि, रसमयी प्रीतिपूर्ण आल्हादिनी, सरस कमलिनि कृष्ण-अली की नित्य निकुंजेश्वरि श्री राजेश्वरि, परम प्रेमरूपा परमेश्वरि, गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि, विमल विचित्र भाव-अवली की