Pag Ghungaru Bandh Meera Nachi Re

समर्पण पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे मैं तो मेरे नारायण की, आपहिं हो गई दासी रे लोग कहे मीराँ भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे विष को प्याला राणाजी भेज्यो, पीवत मीराँ हाँसी रे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ की दासी रे

Meera Magan Hari Ke Gun Gay

मग्न मीरा मीराँ मगन हरि के गुण गाय साँप-पिटारा राणा भेज्या, मीराँ हाथ दियो जाय न्हाय धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय जहर को प्याला राणाजी भेज्या, अमृत दियो बनाय न्हाय धोय जब पीवण लागी, हो गई अमर अँचाय सूल सेज राणाजी भेजी, दीज्यो मीराँ सुलाय साँझ भई मीराँ सोवण लागी, मानो फूल बिछाय […]

Meera Lago Rang Hari

हरि से प्रीति ‘मीराँ’ लागो रंग हरी, और न रँग की अटक परी चूड़ो म्हाँरे तिलक अरु माला, सील बरत सिणगारो और सिंगार म्हाँरे दाय न आवे, यो गुरू ज्ञान हमारो कोई निंदो कोई बिंदो म्हे तो, गुण गोबिंद का गास्याँ जिण मारग म्हाँरा साध पधारौ, उण मारग म्हे जास्याँ चोरी न करस्याँ, जिव न […]