Jo Tum Todo Piya Main Nahi Todu Re

अटूट प्रीति जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोड़ूँ तोरी प्रीत तोड़ के मोहन, कौन संग जोड़ूँ तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ, तुम भये सरवर मैं भई मछियाँ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा, तुम भये चन्दा, मैं भई चकोरा तुम भये मोती प्रभु, मैं भई धागा, तुम भये सोना, मैं भई सुहागा ‘मीराँ’ […]

Manwa Nahi Vichari Re

पछतावा (राजस्थानी) मनवा नहीं विचारी रे थारी म्हारी करता उमर बीति सारी रे बालपणा में लाड़-लड़ायो, माता थारी रे भर जोबन में लगी लुगाई सबसे प्यारी रे बूढ़ो हुयो समझ में आई, ऊमर हारी रे व्यर्थ बिताई करी एक बस, थारी म्हारी रे मिनख जनम खो दियो, तू जप ले कृष्ण मुरारी रे अन्तकाल थारो […]

Tera Koi Nahi Rokanhar

मग्न मीरा तेरा कोइ नहिं रोकनहार, मगन होय मीराँ चली लाज सरम कुल की मरजादा, सिर से दूर करी मानापमान दोऊ घर पटके, निकसी हूँ ज्ञान गली ऊँची अटरिया लाल किवड़िया, निरगुण सेज बिछी पचरंगी झालर सुभ सोहे, फूलन फूल कली बाजूबंद कठूला सोहे, माँग सिंदुर भरी पूजन थाल हाथ में लीन्हा, सोभा अधिक भली […]

Manuwa Khabar Nahi Pal Ki

प्रबोधन मनुवा खबर नहीं पल की राम सुमिरले सुकृत करले, को जाने कल की कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी, झूठ कपट छल की सिर पर धरली पाप गठरिया, कैसे हो हलकी तारामण्डल सूर्य चाँद में, ज्योति है मालिक की दया धरम कर, हरि स्मरण कर, विनती ‘नानक’ की 

Nahi Aiso Janam Barambar

नश्वर जीवन नहीं ऐसो जनम बारम्बार क्या जानूँ कछु पुण्य प्रगटे, मानुसा अवतार बढ़त पल पल घटत छिन-छिन, जात न लागे वार बिरछ के ज्यों पात टूटैं, लगे नहीं पुनि डार भौसागर अति जोर कहिये, विषय ऊँडी धार राम नाम का बाँध बेड़ा, उतर परले पार साधु संत महन्त ज्ञानी, चालत करत पुकार दासी मीराँ […]

Main Nahi Mati Khai Maiya

परब्रह्म श्याम मैं नहीं माटी खाई मैया, मैं नहीं माटी खाई ग्वाल सखा सब झूठे मैया, जिनको तू पतियाई एक बार चुपके से लाला ने जब मिट्टी खाई देख लिया मैया न उसको, तभी दौड़ कर आई हाथ पकड़ उसका तब बोलीं, मुँह तो खोल कन्हाई तीनों लोक लाल के मुँह में, देखे तो चकराई […]

Nahi Bhave Tharo Desadlo Ji Rangrudo

मेवाड़ से विरक्ति नहीं भावैं थाँरो देसड़लो जी रँगरूड़ो थाँरा देस में राणा साधु नहीं छै, लोग बसैं सब कूड़ो गहणा गाँठी भुजबंद त्याग्या, त्याग्यो कर रो चूड़ो काजल टीकी हम सब त्याग्या, त्याग्यो बाँधन जूड़ो ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, वर पायो छै रूड़ो

Karam Gati Tare Nahi Tari

कर्म विपाक करम गति तारे नाहिं टरी मुनि वसिष्ठ से पण्डित ज्ञानी, सोध के लगन धरी सीता हरण, मरण दशरथ को, वन में विपति परी नीच हाथ हरिचन्द बिकाने, बली पताल धरी कोटि गाय नित पुण्य करत नृग, गिरगिट जोनि परी पाण्डव जिनके आप सारथी, तिन पर विपति परी दुर्योधन को गर्व घटायो, जदुकुल नाश […]