Kali Nam Kam Taru Ram Ko

राम स्मरण
कलि नाम कामतरु राम को
दलनिहार दारिद दुकाल दुख, दोष घोर धन धाम को
नाम लेत दाहिनों होत मन वाम विधाता वाम को
कहत मुनीस महेस महातम, उलटे सूधे नाम को
भलो लोक – परलोक तासु जाके बल ललित – ललाम को
‘तुलसी’ जग जानियत नामते, सोच न कूच मुकाम को

Are Man Jap Le Prabhu Ka Nam

नाम स्मरण
अरे मन जप ले प्रभु का नाम
पाँच तत्व का बना पींजरा, मढ़ा उसी पर चाम
आज नहीं कल छूट जायगा, भज ले करुणाधाम
द्रुपद-सुता ने उन्हें पुकारा, वसन रूप भये श्याम
श्रद्धा-भाव रहे मन में नित, जपो प्रभु का नाम
अजामील ने पुत्र-भाव से, नारायण का लिया नाम
सुलभ हो गई सद्गति उसको, पहुँचा उन के धाम
आर्तजनों के वे हितकारी, भज मन आठों याम
सब सुकृत का सार यही, भज राधा-कृष्ण ललाम  

Ram Nam Matu Pita Swami Samarath Hitu

राम नाम आश्रय
राम नाम मातु-पिता, स्वामि समरथ, हितू
आस रामनाथ की , भरोसो राम नाम को
प्रेम राम नाम ही सों, नेम राम नाम ही को
जानौ, राम नाम मर्म, अन्य नहीं काम को
स्वारथ सकल परमारथ को राम नाम
राम नाम हीन ‘तुलसी’ एकमात्र नाम को
राम की शपथ सरबस मेरे राम नाम
कामधेनु-कल्पतरु, मोसे दीन हीन को

Jisne Nit Hari Ka Nam Liya

नाम महिमा
जिसने नित हरि का नाम लिया उसने अपना कल्याण किया
जिसने पशु पक्षी प्राणिमात्र का पालन पोषण नित्य किया
चाहे दान किसी को दिया न दिया, भवनिधि को उसने पार किया
सत्संग कथामृत पान किया, आजीवन सबका भला किया
चाहे पूजा पाठ किया न किया पर भक्ति-भाव को प्राप्त किया
गुरु का उपदेश हृदय धर के, आचरण शास्त्र अनुसार किया
चाहे व्रत उपवास किया न किया, मानव जीवन को सफल किया

Kyon Tu Govind Nam Bisaro

नाम स्मरण
क्यौं तू गोविंद नाम बिसारौ
अजहूँ चेति, भजन करि हरि कौ, काल फिरत सिर ऊपर भारौ
धन-सुत दारा काम न आवै, जिनहिं लागि आपुनपौ हारौ
‘सूरदास’ भगवंत-भजन बिनु, चल्यो पछिताइ नयन जल ढारौ

Nam Japan Kyon Chod Diya

नाम-जप
नाम जपन क्यों छोड़ दिया
क्रोध न छोड़ा, झूँठ न छोड़ा, सत्य वचन क्यों छोड़ दिया
झूठे जग में जी ललचा कर, असल देश क्यों छोड़ दिया
कौड़ी को तो खूब सम्भाला, लाल-रतन क्यों छोड़ दिया
जिहि सुमिरन ते अति सुख पावे, सो सुमिरन क्यों छोड़ दिया
रे नर इक भगवान भरोसे, तन-मन-धन क्यों न छोड़ दिया

Jo Tu Krishna Nam Dhan Dharto

नाम महिमा
जो तूँ कृष्ण नाम धन धरतो
अब को जनम आगिलो तेरो, दोऊ जनम सुधरतो
जन को त्रास सबै मिटि जातो, भगत नाँउ तेरो परतो
‘सूरदास’ बैकुण्ठ लोक में, कोई न फेंट पकरतो

Narayan Ka Nit Nam Japo

कीर्तन महिमा
नारायण का नित नाम जपो, हृदय से मंगलकारी
श्री राम कृष्ण हरि नारायण एक ही स्वरूप संकट हारी
है रामबाण औषधि है सब रोगों का जो शमन करें
प्रभु कीर्तन हो तन्मय हो कर सब चिंताओं को दूर करें
कलि-काल में साधन बड़ा यही हम जपे प्रभु का नाम नित्य
परिवार सहित संकीर्तन हो, वे करुणा सागर शांतिधाम 

Re Man Krishna Nam Kah Lije

नाम स्मरण
रेमन, कृष्ण-नाम कह लीजै
गुरु के वचन अटल करि मानहु, साधु-समागम कीजै
पढ़ियै-सुनियै भगति-भागवत, और कथा कहि लीजै
कृष्ण-नाम बिनु जनम वृथा है, वृथा जनम कहाँ जीजै
कृष्ण-नाम-रस बह्यौ जात है, तृषावन्त ह्वै पीजै
‘सूरदास’ हरि-सरन ताकियै, जनम सफल करि लीजै

Bhaj Le Pyare Hari Ka Nam

नाम स्मरण
भजले प्यारे हरि का नाम, इसमें लगे न कुछ भी दाम
कर न बुराई कभी किसी की, जप ले मन से हरि का नाम
नयनों से दर्शन हो हरि का, सुनों कान से प्रभु का गान
करो तीर्थ सेवन पैरों से, करो हाथ से समुचित दान
मन बुद्धि श्रद्धा से प्यारे, होय नित्य ही हरि का ध्यान
एकमात्र साधन यह कलि में, शास्त्र संत का यही विधान