Kab Dekhongi Nayan Vah Madhur Murati

राम का माधुर्य
कब देखौंगी नयन वह मधुर मूरति
राजिव दल नयन, कोमल-कृपा अयन, काम बहु छबि अंगनि दूरति
सिर पर जटा कलाप पानि सायक चाप उर रुचिर वनमाल मूरति
‘तुलसिदास’ रघुबीर की सोभा सुमिरि, भई मगन, नहीं तन की सूरति

Mere Nayan Nirakhi Sachu Pawe

रूप माधुरी
मेरे नयन निरखि सचु पावै
बलि बलि जाऊँ मुखारविंद पै, बन ते पुनि ब्रज आवै
गुंजाफल वनमाल मुकुटमनि, बेनु रसाल बजावे
कोटि किरन मुख तें जो प्रकाशित, शशि की प्रभा लजावै
नटवर रूप अनूप छबीलो, सबही के मन भावै
‘सूरदास’ प्रभु पवन मंदगति, विरहिन ताप नसावै

Jinake Prafulla Rajiv Nayan

श्रीराम चरित
जिनके प्रफुल्ल राजीव नयन, मर्यादा के जो श्रेष्ठ धाम
शोभा सागर श्रीरामचन्द्र, सीतापति को शत-शत प्रणाम
बाहु प्रलम्ब प्रभु शक्तिमान, कोमल कर धारे धनुष बान
मैं नतमस्तक प्रभु कृपा करो, पादाम्बुज भक्ति करो दान
राज्याभिषेक होने वाला, इस समाचार से जो न सुखी
वनवास हुआ है सुन करके, उनका मन तनिक न हुआ दुखी
रघुकुल का करते जो मंडन, शिवधनु का करते जो खंडन
मुनि साधु संत जिनसे प्रसन्न, शासन में कोई नहीं विपन्न

Jo Kamal Nayan Prasanna Vadan

श्रीराम स्तुति
जो कमल-नयन प्रसन्न वदन, पीताम्बर लंकृत श्रीराम
प्रभु असुर-निकंदन, हितकारी गो-द्विज के, राघव को प्रणाम
जिनकी माया के वशीभूत, यह जगत् सत्य लगता हमको
नौका हैं चरण कमल जिनके, भवसागर से तर जाने को
है अविनाशी घटघट वासी, इन्द्रियातीत सच्चिदानन्द
हे भव-भय-भंजन, मुनि-जन रंजन, लक्ष्मीपति करुणानिधि मुकुन्द
शारदा, शेष, सुर, ऋषिमुनि भी, यशगान आपका ही करते
हे सहज कृपालु श्री रामचन्द्र, जो प्राणी मात्र का दु:ख हरते 

Nayan Main Daro Mati Gulal

होली
नयन में डारो मती गुलाल, तिहारे पाँय परत नन्दलाल
अंतर होत पिया दरसन में, बिन दरसन बेहाल
कनक बेलि वृषभानु-नन्दिनी, प्रीतम स्याम तमाल
ऋतु बसंत वृंदावन फूल्यो, नाचत गोपी ग्वाल
वेणु बजावे मधुरे गावे, नाना विधि दे ताल
‘रामदास’ प्रभु गिरिधर नागर, पिक रंग सोहे गाल