Ek Aur Vah Kshir Nir Main Sukh Se Sowen

श्री राधाकृष्ण एक ओर वह क्षीर नीर में, सुख से सोवैं करि के शैया शेष लक्ष्मीजी, जिन पद जोवैं वे ही राधेश्याम युगल, विहरत कुंजनि में लोकपाल बनि तऊ चरावत, धेनु वननि में निज ऐश्वर्य भुलाय कें, करैं अटपटे काम है तेज पुंज उन कृष्ण को, बारम्बार प्रणाम है