Pag Ghungaru Bandh Meera Nachi Re

समर्पण पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे मैं तो मेरे नारायण की, आपहिं हो गई दासी रे लोग कहे मीराँ भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे विष को प्याला राणाजी भेज्यो, पीवत मीराँ हाँसी रे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ की दासी रे

Baj Rahi Shyam Pag Painjaniyan

बालकृष्ण चरित्र बज रही श्याम-पग-पैंजनियाँ चलना सिखावे अँगुली पकड़ के, स्वर मीठो री रुनझुनियाँ पुलकित मन में नन्द जसोदा, नाच नचाये लाला को ठुमक-ठुमक जब चले कान्ह री, हर्षाये सब के मन को गायें गीत बजायें ताली, गोपी जन तन्मय होए माया जिनकी नाच नचाये, बालनृत्य में वे खोए