Ankhiyan Hari Darsan Ki Pyasi

वियोग अँखिया हरि दरसन की प्यासी देख्यो चाहत कमलनैन को, निसिदिन रहत उदासी आयो ऊधौ फिरि गये आँगन, डारि गये गल फाँसी केसरि तिलक मोतिन की माला, वृन्दावन को वासी काहु के मनकी कोउ न जानत, लोगन के मन हाँसी ‘सूरदास’ प्रभु तुमरे दरस बिन, लेहौं करवत कासी

Ankhiyan Krishna Milan Ki Pyasi

विरह व्यथा अँखियाँ कृष्ण मिलन की प्यासी आप तो जाय द्वारका छाये, लोग करत मेरी हाँसी आम की दार कोयलिया बोलै, बोलत सबद उदासी मेरे तो मन ऐसी आवै, करवत लेहौं कासी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, चरण कमल की दासी

Darshan Ki Pyasi Mohan

दर्शन की प्यास दर्शन की प्यासी मोहन! आई शरण तुम्हारी रस प्रेम का लगा के, हमको है क्यों बिसारी सूरत तेरी कन्हाई, नयनों में है समाई हमसे सहा न जाये, तेरा वियोग भारी घर बार मोह माया, सब त्याग हमहैं आर्इं चन्दा सा मुख दिखा दो, विनती है यह हमारी बंसी की धुन सुनादो, फिर […]