Shyam Binu Bairin Rain Bhai

विरह व्यथा स्याम बिनु बैरिन रैन भई काटे कटत न घटत एक पल, सालत नित्य नई पल भर नींद नयन नहिं आये, तारे गिनत गई उलटि-पुलटि करवट लैं काटूँ, ऐसी दशा भई कहा बात मैं कहूँ गात की, जात न कछु कही अँखियन में पावस सी छाई, जब पल रूकत नहीं भये निठुर ऐसे नँदनंदन, […]