Chalo Ri Mile Natwar Nand Kishor

श्री राधा कृष्ण चलोरी, मिले नटवर नंदकिशोर श्रीराधा के सँग विहरत है सघन कुंज चितचोर तैसिय छटा घुमड़ि चहुँ दिसि तें, गरजत है घनघोर बिजुरी चमक रही अंबर में, पवन चलत अति जोर पीत-वसन में श्याम, राधिका नील-वसन तन गोर सदा विहार करो ‘परमानँद’, बसो युगल मन मोर

Chalo Ri Sakhi Nand Bhawan Ko Jayen

प्रभाती चलोरी सखि, नन्द भवन को जायें मिले श्याम सुन्दर का दर्शन, जीवन की निधि पायें प्रातः काल भयो सखि माँ लाला को रही जगाये उबटन लगा लाल को मैया, अब उसको नहलाये स्नेह भाव जसुमति के मन में, नवनीत उसे खिलाये केश सँवार नयन में काजल, माथे तिलक लगाये रेशम को जामा पहनाकर, स्नेह […]

Kaha Kahati Tu Mohi Ri Mai

मनोवेग कहा कहति तू मोहि री माई नंदनँदन मन हर लियो मेरौ, तब तै मोकों कछु न सुहाई अब लौं नहिं जानति मैं को ही, कब तैं तू मेरे ढ़िंग आई कहाँ गेह, कहँ मात पिता हैं, कहाँ सजन गुरुजन कहाँ भाई कैसी लाज कानि है कैसी, कहा कहती ह्वै ह्वै रिसहाई अब तौ ‘सूर’ […]

Chabili Radhe Puje Ri Gangour

गणगौर पूजन छबीली राधे पूजे री गणगौर ललितादिक सब सखियाँ पहुँची वृषभान की पौर पारबती शिवजी को पूजन, श्याम सुन्दर मन मोर सघन कुंज, वृन्दावन अनुपम मिलि गयौ नंद-किसोर ‘नंददास’ प्रभु आय अचानक, घेरी लियो चहुँ ओर  

Khelan Ko Hari Duri Gayo Ri

यशोदा की चिन्ता खेलन कौं हरि दूरि गयौ री संग-संग धावत डोलत हैं, कह धौं बहुत अबेर भयौ री पलक ओट भावत नहिं मोकौं, कहा कहौं तोहि बात नंदहिं तात-तात कहि बोलत, मोहि कहत है मात इतनो कहत स्याम-घन आये, ग्वाल सखा सब चीन्हे दौरि जाइ उर लाइ ‘सूर’ प्रभु, हरषि जसोदा लीन्हे

Rasiya Ko Nar Banao Ri

होली रसिया को नार बनाओ री, रसिया को कटि लहँगा, उर माँहि कंचुकी, चूनर आज ओढ़ाओरी बिंदी भाल नयन में कजरा, नक बेसर पहनाओरी सजा धजा जसुमति के आगे, याको नाच नचाओरी होरी में न लाज रहे सखियाँ, मिल कर के आज चिढ़ाओरी 

Dekho Ri Nand Nandan Aawat

श्री चरण देखौ री नँदनंदन आवत वृन्दावन तैं धेनु-वृंद बिच, बेनु अधर धर गावत तन घनश्याम कमल-दल-लोचन, अंग-अंग छबि पावत कारी-गोरी, धौरी-धूमरि, लै लै नाम बुलावत बाल गोपाल संग सब सोभित, मिलि कर-पत्र बजावत ‘सूरदास’ मुख निरखत ही मुख, गोपी-प्रेम बढ़ावत

Shri Radhe Pyari De Daro Ri Bansuri

बंसी की चोरी श्री राधे प्यारी, दे डारो री बाँसुरी मोरी काहे से गाऊँ राधे, काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊँ गैया घेरि मुखड़े से गाओ कान्हा, ताल बजावो, चुटकी से लाओ गैया घेरि या बंशी में मेरो प्राण बसत है, सो ही गई अब चोरी न तो सोने की, ना ही चाँदी की, हरे […]

Maiya Ri Tu Inaka Janati

राधा कृष्ण प्रीति मैया री तू इनका जानति बारम्बार बतायी हो जमुना तीर काल्हि मैं भूल्यो, बाँह पकड़ी गहि ल्यायी हो आवत इहाँ तोहि सकुचति है, मैं दे सौंह बुलायी हो ‘सूर’ स्याम ऐसे गुण-आगर, नागरि बहुत रिझायी हो

Sakhi Ri Achraj Ki Yah Baat

अचरज की बात सखी री! अचरज की यह बात निर्गुण ब्रह्म सगुन ह्वै आयौ, बृजमें ताहि नचात पूरन-ब्रह्म अखिल भुवनेश्वर, गति जाकी अज्ञात ते बृज गोप-ग्वाल सँग खेलत, बन-बन धेनु चरात जाकूँ बेद नेति कहि गावैं, भेद न जान्यौ जात सो बृज गोप-बधुन्ह गृह नित ही, चोरी कर दधि खात शिव-ब्रह्मादि, देव, मुनि, नारद, जाकौ […]