Maiya Ri Mohi Makhan Bhawe

माखन का स्वाद मैया री मोहिं माखन भावै मधु मेवा पकवान मिठाई, मोहिं नहीं रूचि आवै ब्रज-जुबती इक पाछे ठाढ़ी, सुनति श्याम की बातैं मन मन कहति कबहुँ अपने घर, देखौं माखन खातैं बैठे जाय मथनियाँ के ढिंग, मैं तब रहौं छिपानी ‘सूरदास’ प्रभु अंतरजामी, ग्वालिन मन की जानी

Sakhi Ri Sundarta Ko Rang

दिव्य सौन्दर्य सखी री सुन्दरता को रंग छिन-छिन माँहि परत छबि औरे, कमल नयन के अंग स्याम सुभग के ऊपर वारौं, आली, कोटि अनंग ‘सूरदास’ कछु कहत न आवै, गिरा भई अति पंग

Sun Ri Sakhi Bat Ek Mori

ठिठोली सुन री सखी, बात एक मेरी तोसौं धरौं दुराई, कहौं केहि, तू जानै सब चित की मेरी मैं गोरस लै जाति अकेली, काल्हि कान्ह बहियाँ गही मेरी हार सहित अंचल गहि गाढ़े, इक कर गही मटुकिया मेरी तब मैं कह्यौ खीझि हरि छोड़ौ, टूटेगी मोतिन लर मेरी ‘सूर’ स्याम ऐसे मोहि रीझयौ, कहा कहति […]

Sune Ri Maine Nirbal Ke Balram

शरणागति सुने री मैंने निरबल के बल राम पिछली साख भरूँ संतन की, आइ सँवारे काम जब लगि गज बल अपनो बरत्यो, नेक सर्यो नहिं काम निरबल ह्वै हरि नाम पुकार्यो, आये आधे नाम द्रुपद-सुता निरबल भई ता दिन, तजि आये निज धाम दुःशासन की भुजा थकित भई, बसन रूप भये स्याम अप-बल, तप-बल और […]

Braj Me Aaj Sakhi Dekhyo Ri Tona

श्याम का जादू ब्रज में आज सखी देख्यो री टोना ले मटकी सिर चली गुजरिया, आगे मिले बाबा नंद का छोना दधि को नाम बिसरि गयो प्यारी, ले लेहुरी कोउ स्याम सलोना वृन्दावन की कुंज गलिन में, आँख लगाय गयो मन-मोहना ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुन्दर श्याम सुधर रस लोना

Mai Ri Main To Liyo Govind Mol

अनमोल गोविंद माई री मैं तो लियो री गोविन्दो मोल कोई कहै छाने, कोई कहै चोरी, लियो री बजंताँ ढोल कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अखियाँ खोल कोई कहै महँगो कोई कहै सस्तो, लियो री अमोलक मोल तन का गहणाँ सब ही दीना, दियो री बाजूबँद खोल ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, […]

Ya Braj Me Kachu Dekho Ri Tona

मुग्धा या वृज में कछु देखोरी टोना ले मटुकी गिर चली गुजरिया, आय मिले बाबा नंद को छोना दधि की पांग बिसरि गई प्यारी, लीजो रीं कोई श्याम सलौना बृन्दावन की कुंज गलिन में, आँख लगायो री मन-मोहना ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुन्दर श्याम सुघर रस लोना

Man Mohak Sab Saj Sajyo Ri

पुष्प सज्जा मन मोहक सब साज सज्यो री फूलमयी यह जुगल जोति लखि, सखियन को मन फूल रह्यो री फूलन के ही मुकुट चन्द्रिका, फूलन ही को पाग फल्यौ री फूलन के ही गजरा कुण्डल, फूलन को ही हार सज्यौ री फूलन के ही कंकण कचुँकि, फूलन को भुजबन्ध बन्धौ री फूलन के ही नूपुर […]

Sakhi Ri Ati Natkhat Nandkishor

नटखट कन्हैया सखी री! अति नटखट नंद-किसोर करत छेड़खानी वह हमसों, सुनत न नैंकु निहोर मैया को अति लाड़-लड़ैतो, भयो बड़ो मुँहजोर घर में पैठि चुरावैं माखन, दैत मटुकिया फोर जमुना-तट जा चीर चुरावै, मग में घट दे तोर ऐसे कौतुक करत तदपि सखि, चलत न मन सों जोर चीर-छीर की कहा चलै इन, लियो […]

Sakhi Ri Main To Rangi Shyam Ke Rang

श्याम का रंग सखी री मैं तो रंगी श्याम के रंग पै अति होत विकल यह मनुआ, होत स्वप्न जब भंग हो नहिं काम-काज ही घर को, करहिं स्वजन सब तंग किन्तु करुँ क्या सहूँ सब सजनी, चढ्यो प्रेम को रंग आली, चढ़ी लाल की लाली, अँग-अँग छयो अनंग स्याममयी हो गई सखी मैं तो, […]