Satswarup Hai Aatma

सत्य दर्शन सत्स्वरूप है आत्मा, जो स्वभावतः सत्य झूठ बाहरी वस्तु है, जो अवश्य ही त्याज्य धन आसक्ति प्रमादवश, व्यक्ति बोलता झूठ सत्य आचरण ही करें, प्रभु ना जाए रूठ छद्म पूर्ण हो चरित तो, कहीं न आदर पाय कपट शून्य हो आचरण, विश्वासी हो जाय काम क्रोध व लोभ है, सभी नरक के द्वार […]