Ek Aur Vah Kshir Nir Main Sukh Se Sowen

श्री राधाकृष्ण एक ओर वह क्षीर नीर में, सुख से सोवैं करि के शैया शेष लक्ष्मीजी, जिन पद जोवैं वे ही राधेश्याम युगल, विहरत कुंजनि में लोकपाल बनि तऊ चरावत, धेनु वननि में निज ऐश्वर्य भुलाय कें, करैं अटपटे काम है तेज पुंज उन कृष्ण को, बारम्बार प्रणाम है

Prabhu Se Priti Badhaye

हरि से प्रीति प्रभु से प्रीति बढ़ायें मुरलीधर की छटा मनोहर, मन-मंदिर बस जाये माया मोह कामनाओं का, दृढ़ बंधन कट जाये सब सम्बन्धी सुख के संगी, कोई साथ न आये संकट ग्रस्त गजेन्द्र द्रौपदी, हरि अविलम्ब बचाये भजन कीर्तन नंद-नन्दन का, विपदा दूर भगाये अन्त समय जो भाव रहे, चित वैसी ही गति पाये […]

Laga Le Prem Prabhu Se Tu

शरणागति लगाले प्रेम प्रभु से तू, अगर जो मोक्ष चाहता है रचा उसने जगत् सारा, पालता वो ही सबको है वही मालिक है दुनियाँ का, पिता माता विधाता है नहीं पाताल के अंदर, नहीं आकाश के ऊपर सदा वो पास है तेरे, ढूँढने क्यों तू जाता है पड़े जो शरण में उसकी, छोड़ दुनियाँ के […]

Prasannata Prabhu Se Prapta Prasad

प्रसन्नता प्रसन्नता, प्रभु से प्राप्त प्रसाद जीवन तो संघर्ष भरा, मिटादे दुःख और अवसाद अगर खिन्नता आड़े न आये, जीवन भी सुखमय हो जब प्रसन्न सन्तुष्ट रहें तो, आनन्दमय सब कुछ हो संग करें उन लोगों का, जो खिले पुष्प से रहते कथा प्रभु की सुने कहें हम, पूर्ण शांति पा लेते मनोरोग है चिन्ता […]

Antarman Se Karu Archana

गायत्री स्तवन अन्तर्मन से करूँ, अर्चना हे गायत्री माता जपे आपका महामंत्र, वह सभी सिद्धियाँ पाता अनुपम रूप आपका माता, वर्णन हो नहीं पाता महिमा अपरम्पार आपकी, भक्तों की हो त्राता दिव्य तेज की एक किरण से, मन प्रकाश भर जाता

Prani Matra Prabhu Se Anupranit

प्रबोधन प्राणिमात्र प्रभु से अनुप्राणित, जड़ चेतन में छाया सबको अपने जैसा देखूँ, कोई नहीं पराया जिसने राग द्वेष को त्यागा, उसने तुमको पाया दंभ दर्प में जो भी डूबा, उसने तुमको खोया कौन ले गया अब तक सँग में, धरा धाम सम्पत्ति जो भी फँसा मोह माया में, उसको मिली विपत्ति दो विवेक प्रभु […]

Itna To Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikale

विनती इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले श्री यमुनाजी का तट हो, स्थान वंशी-वट हो मेरा साँवरा निकट हो, जब प्राण तन से निकलें श्री वृन्दावन का थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो विष्णु-चरण का जल हो, जब प्राण तन से निकलें […]

Badhai Se Nahi Phulo Man Main

प्रशंसा बड़ाई से नहिं फूलों मन में ध्यान न रहता जो भी खामियाँ, रहती हैं अपने में काम प्रशंसा का जब होए, समझो कृपा प्रभु की याद रहे कि प्रशंसा तो बस, मीठी घूँट जहर की नहीं लगाओ गले बड़ाई, दूर सदा ही भागो होगी श्लाघा बड़े बनोगे, सपने से तुम जागो 

Kathinai Se Dhan Arjan Ho

सात्विक दान कठिनाई से धन अर्जन हो, और दान कर पाये धन का लोभ सदा ही रहता, त्याग कठिन हो जाये याद रहे अधिकांश धर्म में व्यय हो, कमी न आये कुएँ से जल जितना निकले, फिर से वह भर जाये धन कमाय जो भी ईमान से, वह सात्विक कहलाये कृषि एवं व्यवसाय से अर्जित, […]

Mat Kar Itana Pyar Tu Tan Se

देह से प्रेम मत कर इतना प्यार तू तन से, नहीं रहेगा तेरा बहुत सँवारा इत्र लगाया, और कहे यह मेरा बढ़िया भोजन नित्य कराया, वस्त्रों का अंबार बचपन, यौवन बीत गया तब, उतरा मद का भार पति, पत्नी-बच्चों तक सीमित था तेरा संसार स्वारथ के साथी जिन पर ही, लूटा रहा सब प्यार सब […]