Aai Chak Bulaye Shyam

वन भोजन आई छाक बुलाये स्याम यह सुनि सखा सबहि जुरि आये, सुबल, सुदामा अरु श्रीदाम कमलपत्र दोना पलास के, सब आगे धरि परसत जात ग्वाल मंडली मध्य स्याम घन, सब मिलि भोजन रूचि सो खात ऐसी भूख बीच यह भोजन, पठा दियौ जो जसुमति मात ‘सूर’,स्याम अपनो नहिं जेंवत, ग्वालन कर तें लै लै […]

Baadar Dekh Dari Shyam

बादल देख डरी बादर देख डरी हो श्याम! मैं तो बादर देख डरी काली-पीली घटा उमड़ी, बरस्यो एक घरी जित जाऊँ तित पानी ही पानी, भई सब भोम हरी जाको पिव परदेस बसत है, भीजै बार खरी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर,कीज्यो प्रीत खरी

Aaj Sakhi Shyam Sundar

मुरली का जादू आज सखी श्याम सुंदर बाँसुरी बजाये मोर-मुकुट तिलक भाल, पग में नूपुर सुहाये बिम्बाधर मुरलीधर, मधुर धुन सुनाये यमुना को रुकत नीर, पक्षीगण मौन भये धेनू मुख घास डार, धुनि में मन लाये त्रिभुवन में गूँज उठी, मुरली की मधुर तान समाधि भी गई टूट, योगी मन भाये बंशी-स्वर सुन अपार, भूले […]

Shyam Tumhara Rup Anutha

अनूठा रूप श्याम तुम्हारा रूप अनूठा, कोटि अनंग लजाये चंचल चितवन कमल-नयन से, प्रेम सरस बरसाये स्निग्ध कपोल अरुणिमा जिनकी, दर्पण सम दमकाये मोर-मुकुट शीश पर शोभित, केश राशि लहराये कमनीय अंग किशोर मूर्ति के, दर्शन मन सरसाये पान करे गोपीजन प्रति पल, फिर भी नहीं अघाये ऐसा अद्भुत ज्योति-पुंज जो, मन का तिमिर भगाये […]

Bujhat Shyam Kon Tu Gori

राधा कृष्ण भेंट बूझत श्याम कौन तूँ गोरी कहाँ रहति काकी है बेटी, देखी नहीं कहूँ ब्रज खोरी काहे को हम ब्रजतन आवति, खेलति रहति आपनी पोरी सुनति रहति श्रवननि नंद ढोटा, करत रहत माखन दधि-चोरी तुम्हरो कहा चोरि हम लैहैं, खेलन चलो संग मिलि जोरी ‘सूरदास’ प्रभु रसिक सिरोमनि, बातनि भुरइ राधिका भोरी

Manmohan Shyam Hamara

श्याम की पाती मनमोहन श्याम हमारा निर्मल नीरा जमुन को त्याग्यौ, जाय पियौ जल खारा आप तो जाय द्वारका छाए, हमें छाँड़ि माझ धारा लिखि लिखि पाती भेजुँ स्याम कूँ, बाँचौ प्रीतम प्यारा ‘मीराँ’ के प्रभु हरि अविनासी, जीवन प्राण आधारा

Udho Hamen Na Shyam Viyog

प्रीति की रीति ऊधौ! हमें न श्याम वियोग सदा हृदय में वे ही बसते, अनुपम यह संजोग बाहर भीतर नित्य यहाँ, मनमोहन ही तो छाये बिन सानिध्य श्याम के हम को, कुछ भी नहीं सुहाये तन में, मन में, इस जीवन में, केवल श्याम समाये पल भर भी विलग नहीं वे होते, हमें रोष क्यों […]

Shyam Dekh Darpan Main Bole

राधिका श्याम सौन्दर्य श्याम देख दर्पण में बोले ‘सुनो राधिका प्यारी आज बताओ मैं सुन्दर या तुम हो सुभगा न्यारी’ असमंजस में पड़ी राधिका, कौन अधिक रुचिकारी ‘हम का कहें कि मैं गोरी पर, तुम तो श्याम बिहारी’ जीत गई वृषभानु-दुलारी, मुग्ध हुए बनवारी भक्तों के सर्वस्व राधिका-श्याम युगल मनहारी  

Madhukar Shyam Hamre Chor

चित-चोर मधुकर श्याम हमारे चोर मन हर लियो माधुरी मूरत, निरख नयन की कोर पकरे हुते आन उर अंतर, प्रेम प्रीति के जोर गये छुड़ाय तोर सब बंधन, दै गये हँसन अकोर उचक परों जागत निसि बीते, तारे गिनत भई भोर ‘सूरदास’ प्रभु हत मन मेरो, सरबस लै गयो नंदकिशोर

Mere Ghar Aao Sundar Shyam

विरह व्यथा मेरे घर आवो सुन्दर श्याम तुम आया बिन सुख नहीं मेरे, पीरी परी जैसे पान मेरे आसा और न स्वामी, एक तिहारो ही ध्यान ‘मीराँ’ के प्रभु वेग मिलो अब, राखोजी मेरो मान