Pran Dhan Sundar Shyam Sujan

दर्शन की प्यास प्रानधन! सुन्दर श्याम सुजान छटपटात तुम बिना दिवस निसि, पड़ी तुम्हारी बान कलपत विलपत ही दिन बीतत, निसा नींद नहिं आवै स्वप्न दरसहू भयौ असंभव, कैसे मन सचु पावै अब मत देर करो मनमोहन, दया नैकु हिय धारौ सरस सुधामय दरशन दै निज, उर को ताप निवारौ

Priti Pagi Shri Ladili Pritam Shyam Sujan

युगल से प्रीति प्रीति पगी श्री लाड़िली, प्रीतम स्याम सुजान देखन में दो रूप है, दोऊ एक ही प्रान ललित लड़ैती लाड़िली, लालन नेह निधान दोउ दोऊ के रंग रँगे, करहिं प्रीति प्रतिदान रे मन भटके व्यर्थ ही, जुगल चरण कर राग जिनहिं परसि ब्रजभूमि को, कन कन भयो प्रयाग मिले जुगल की कृपा से, […]