Main Hari Patit Pawan Sune

पतित-पावन मैं हरि पतित-पावन सुने मैं पतित तुम पतित पावन दोइ बानक बने व्याध, गनिका, गज, अजामिल, साखि निगमनि भने और अधम अनेक तारे, जात कापै गने जानि नाम अजानि लीन्हें, नरक सुरपुर मने दास तुलसी सरन आयो, राखिये आपने

Sune Ri Maine Nirbal Ke Balram

शरणागति सुने री मैंने निरबल के बल राम पिछली साख भरूँ संतन की, आइ सँवारे काम जब लगि गज बल अपनो बरत्यो, नेक सर्यो नहिं काम निरबल ह्वै हरि नाम पुकार्यो, आये आधे नाम द्रुपद-सुता निरबल भई ता दिन, तजि आये निज धाम दुःशासन की भुजा थकित भई, बसन रूप भये स्याम अप-बल, तप-बल और […]

Krishna Katha Nit Hi Sune

सदुपदेश कृष्ण-कथा नित ही सुनें, श्रद्धा प्रेम बढ़ाय जो भी वस्तु परोक्ष हो, सुनें ध्यान में आय नेत्र-कोण की लालिमा, मन्द मन्द मुस्कान वस्त्राभूषण प्रीतिमा, मोहन का हो ध्यान श्रीहरि के माहात्म्य का, करे नित्य ही गान सुदृढ़ प्रेम उन से करें, माधुरी का रस-पान श्रवण, कीर्तन, भजन हो, स्वाभाविक हरि-ध्यान विषयों में रुचि हो […]