Payo Ji Mhe To Ram Ratan Dhan Payo

हरि भक्ति पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो वास्तु अमोलक दी म्हाने सतगुरु, किरपा कर अपनायो जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो खरच न हौवे, चोर न लेवै, दिन दिन बढ़त सवायो सत की नाव केवटिया सतगुरु, भव-सागर तर आयो ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरख हरख जस गायो

Jiwan Swayam Ka To Malin

पाखण्ड जीवन स्वयं का तो मलिन, उत्सुक हमें उपदेश दे यह तो विरोधाभास है उनमें अहं भरपूर है अन्त:करण से तो कुटिल, सत्कर्म का पर ज्ञान दे यह ढोंगियों का आचरण, विश्वास उस पर क्यों करें जो भक्ति का प्रतिरोध करते, मुक्ति का निर्देश दे अनभिज्ञ वे तो शास्त्र से, सद्ज्ञान से कोसो परे साधन […]

Prabhu Ji The To Chala Gaya Mhara Se Prit Lagay

पविरह व्यथा प्रभुजी थें तो चला गया, म्हारा से प्रीत लगाय छोड़ गया बिस्वास हिय में, प्रेम की बाती जलाय विरह जलधि में छोड़ गया थें, नेह की नाव चलाय ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय

The To Aarogo Ji Madan Gopal

दुग्ध अर्पण थे तो आरोगोजी मदनगोपाल! कटोरो ल्याई दूध को भर्यो दूधाजी दीनी भोलावण, जद में आई चाल धोली गाय को दूध गरम कर, ल्याई मिसरी घाल कईयाँ रूठ गया हो म्हारा नाथ! कटोरो…. कद ताई रूठ्या रोगा थे बोलो जी महाराज दूध-कटोरो धर्यो सामने, पीवणरी काँई लाज भूखा मरता तो चिप जासी थारा चिकणा […]

Mai Ri Main To Liyo Govind Mol

अनमोल गोविंद माई री मैं तो लियो री गोविन्दो मोल कोई कहै छाने, कोई कहै चोरी, लियो री बजंताँ ढोल कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अखियाँ खोल कोई कहै महँगो कोई कहै सस्तो, लियो री अमोलक मोल तन का गहणाँ सब ही दीना, दियो री बाजूबँद खोल ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, […]

Prabhu Ji Main To Tharo Hi Tharo

समर्पण (राजस्थानी) प्रभुजी मैं तो थारो ही थारो भलो बुरो जैसो भी हूँ मैं, पर हूँ तो बस थारो बिगड्यो भी तो थारो बिगड्यो, थे ही म्हने सुधारो म्हारी बात जाय तो जाये, नाम बिगड़ सी थारो चाहे कहे म्हने तो बिगडी, विरद न रहसी थारो जँचे जिस तरे करो नाथ, थे मारो चाहे तारो […]

Mere To Giridhar Gopal

गिरिधर गोपाल मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई जाके सिर मोर –मुकुट, मेरो पति सोई छाँड़ि दई कुल की कानि, कहा करि है कोई संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक लाज खोई अँसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेली बोई अब तो बेल फैल गई, आनँद फल होई दही की मथनिया, बड़े प्रेम से बिलोई माखन सब काढ़ि लियो, […]

Prem Ho To Shri Hari Ka

कृष्ण कीर्तन प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिये जो बने विषयों के प्रेमी उनपे रोना चाहिये दिन बिताया ऐश और आराम में तुमने अगर सदा ही सुमिरन हरि का करके सोना चाहिये मखमली गद्दों पे सोये तुम यहाँ आराम से वास्ते लम्बे सफर के कुछ बिछौना चाहिये छोड़ गफलत को अरे मन, […]

Main To Giridhar Aage Nachungi

समर्पण मैं तो गिरिधर आगे नाचूँगी नाच नाच मैं पिय को रिझाऊँ, प्रेमी जन को जाचूँगी प्रेम प्रीति के बाँध घुँघरूँ, सुरति की कछनी काछूँगी लोक लाज कुल की मर्यादा, या मैं एक न राखूँगी पिया के चरणा जाय पडूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राचूँगी

Vaishnav Jan To Tene Kahiye

वैष्णव जन (गुजराती) वैष्णव जन तो तेणे कहिए, जे पीर पराई जाणे रे परदुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे सकल लोक मा सहुने वंदे, निंदा करे न केणी रे वाच काज मन निश्चल राखे, धन धन जननी तेणी रे समदृष्टि ने, तृष्णा त्यागी, पर-स्त्री जेणे मात रे जिह्वा थकी असत्य न बोले, […]