Bheje Man Bhawan Ke Uddhav Ke Aawan Ki

गोपियों की ललक भेजे मन-भावन के उद्धव के आवन की, सुधि ब्रज-गाँवनि में पावन जबैं लगी कहैं, ‘रतनाकर’ गुवालिनि की झौरि-झौरि, दौरि-दौरि नंद-पौरि आवन तबै लगीं उझकि-उझकि पद-कंजनि के पंजनि पै, पेखि-पेखि पाती छाती छोहनि छबै लगीं हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, हमकौं लिख्यौ है कहा, कहन सबै लगीं

Vrandavan Se Uddhav Aaye

उद्धव की वापसी वृंदावन से उद्धव आये श्यामसुँदर को गोपीजन के मन की व्यथा सुनाये कहा एक दिन ‘राधारानी बोलीं श्याम सुजान बिना दरस मनमोहन के, ये निकले क्यों नहिं प्रान’ इसी भाँति बिलखत दिन जाये, निशा नींद नहिं आये जाग रही सपना भी दुर्लभ, दर्शन-प्यास सताये दुख असह्य गोपीजन को भी, करुणा कुछ मन […]