Prat Kal Uthi Makhan Roti

बालकृष्ण की बान प्रातकाल उठि माखन रोटी, को बिनु माँगे दैहै अब उहि मेरे कुँवर कान्ह को, छिन-छिन गोदी लैहै कहियौ पथिक जाइ, घर आवहु, राम कृष्ण दोउ भैया दोउ बालक कत होत दुखारी, जिनके मो सी मैया ‘सूर’ पथिक सुनि, मोहि रैन-दिन, बढ्यो रहत उर सोच मेरो अलक-लड़ैतो मोहन, करत बहुत संकोच

Ram Krishna Kahiye Uthi Bhor

राम कृष्ण चरित्र राम कृष्ण कहिये उठि भोर श्री राम तो धनुष धरे हैं, श्री कृष्ण हैं माखन चोर उनके छत्र चँवर सिंहासन, भरत, शत्रुघन, लक्ष्मण जोर इनके लकुट मुकुट पीतांबर, नित गैयन सँग नंद-किशोर उन सागर में सिला तराई, इन राख्यो गिरि नख की कोर ‘नंददास’ प्रभु सब तजि भजिए, जैसे निरखत चंद चकोर […]