प्रतीक्षा
आओ मनमोहनाजी, जोऊँ थारी बाट
खान-पान मोहि नेक न भावै, नयनन लगे कपाट
तुम देख्या बिन कल न पड़त है हिय में बहुत उचाट
मीराँ कहे मैं भई रावरी, छाँड़ो नहीं निराट

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