राधा कृष्ण माधुर्य
बसौ मेरे नैनन में यह जोरी
सुन्दर श्याम कमल – दल – लोचन, सँग वृषभानु किशोरी
मोर-मुकुट मकराकृति कुण्डल, पीताम्बर झकझोरी
‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे दरस को, कहा बरनौं मति थोरी

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