गोवर्धन लीला
ब्रज को बचा लो मोहन, रक्षा करो हमारी
हो कु्रद्ध शची के पति ने, वर्षा करी है भारी
आँधी भी चल रही है, ओले बरस रहे हैं
पानी से भर गया ब्रज, सब कष्ट से घिरे हैं
गिरिराज को उखाड़ा, ले हाथ पर हरि ने
उसको उठाये रक्खा, दिन सात तक उन्होंने
ब्रज हो गया सुरक्षित, पानी उतर गया था
तब पूर्ववत प्रभु ने, गिरिराज को रखा था
श्रीकृष्ण को लगाया, हृदय से था सभी ने
और देवता लगे सब, पुष्पों की वर्षा करने

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