श्री राधा कृष्ण
चलोरी, मिले नटवर नंदकिशोर
श्रीराधा के सँग विहरत है सघन कुंज चितचोर
तैसिय छटा घुमड़ि चहुँ दिसि तें, गरजत है घनघोर
बिजुरी चमक रही अंबर में, पवन चलत अति जोर
पीत-वसन में श्याम, राधिका नील-वसन तन गोर
सदा विहार करो ‘परमानँद’, बसो युगल मन मोर

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