श्री राधा
हमारी राधा अति सुकुमारी
विहरत है वृषभानु महल में, चहुँ दिशि करत उजारी
लोचन युगल खिले पंकज दोउ, मातु बजावति तारी
आवति दौरि अङक में उछरैं, हँसनि देत किलकारी
गोरो अंग श्याम हिय धारति, श्यामा श्याम बिहारी
दुग्ध धवलिया तनु छाया सम, होंहि न पियते न्यारी

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