माँ का स्नेह
हरि किलकत जसुमति की कनियाँ
मुख में तीनि लोक दिखराए, चकित भई नँद-रनियाँ
घर-घर आशीर्वाद दिवावति, बाँधति गरै बँधनियाँ
‘सूर’ स्याम की अद्भुत लीला, नहिं जानत मुनि जनियाँ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *